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शनिवार, 12 मई 2018

सुख,समृद्धि व शान है माँ की संजिदिगियां ।


भरी गर्मी में भी सेकती है रोटियां ,
गर्म भाप और चूल्हे की लौ से उँगलियाँ जलाते हुये ।
सुबह चाय की प्याली से मिटाती है उबासियां ,
सर्द सुबहों में भी सबसे जल्दी उठकर ठिठुरते हुये ।
बच्चों को रोज रात सुनाती है लोरियाँ ,
अपनी दिनभर की थकान और नींद को भुलाते हुये।
घर आते ही परोसती है नास्ते की तश्तरियां,
ऑफिस या बाहर के बोझ व तनाव को परे रखते हुये ।
मुसीबत में साथ चलती है बन परछाइयाँ ,
हौसला और आत्मविश्वास से सबका संबल बढ़ाते हुये ।
हर वक्त अपनी खुशियों की देती कुर्बानियां ,
बिना किसी शोर शराबे और न नुकर कर मुस्कुराते हुये ।
उनसे ही तो बढ़ती है घर की खुशनसीबियां ,
सुख,समृद्धि व 'दीप' की शान है माँ  की संजिदिगियां ।

विश्व मातृ दिवस के शुभ अवसर पर सभी मातृशक्ति को समर्पित ।


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