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रविवार, 30 अगस्त 2009

क्या महिलाओं की नेत्रत्व क्षमता - स्थानीय निकायों के चुनाव तक सीमित है !

जिस देश मैं राष्ट्रपति के पद पर एक महिला आसीन है , सत्ता मैं काबिज़ गठबंधन की सर्बोच्चा एवं सर्वमान्य नेता एक महिला है , जन्हा आज महिला सभी क्षेत्रों मैं पुरुषों के साथ बराबरी से कंधे से कंधे मिलकर कार्य कर रही है क्या उस देश की महिलाओं की नेत्रत्व क्षमता मैं अभी भी शक और सुबह की गुंजाइश बचती है । चाहे केन्द्र सरकार की बात करें या फिर राज्य सरकार की पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनाव मैं ५० फीसदी आरक्षण का लाली पाप देकर महिला समानता और हितों के हिमायती होने दंभ भरते हैं । क्यों नही अभी तक संसद मैं महिला आरक्षण का बिल पास हो पाया है , ३३ फीसदी ही क्यों ५० फीसदी यानि बराबरी के हक़ की बात क्यों नही की जाती है ।
जन्हा आधी आबादी महिलाओं की हो किंतु सत्ता मैं भागीदारी उनकी आबादी के अनुपात मैं न हो तो कैसे कहेंगे देश की सरकार पूर्णतः लोकतान्त्रिक है जो देश की सभी आबादी का प्रतिनिधितव करती है । उनकी समान भागीदारी के अभाव मैं क्या उनके हितों और हकों के अनुरूप नीतियां और योजनायें बन पाती होगी - अभी तक महिला आरक्षण का बिल का संसद मैं पास न होना इस बात का घोतक है संसद मैं महिलायें संख्या के मामले मैं पुरुषों से कमजोर पड़ रही है । जब महिला आरक्षण बिल का वर्षों से यह हाल है तो महिला के कल्याण और हितों के अनुरूप बनने वाले कानून अथवा योजनाये पूर्वाग्रहों से कितने मुक्त होते होंगे इस बात अंदाज़ लगाना मुश्किल नही होगा । आजादी के ६२ वर्षों बाद भी महिलायें अपनी आबादी के अनुपात मैं संसद मैं अपनी हिस्सेदारी नही बना पायी ।
यदि सरकार और संसद वास्तव मैं महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु कृत संकल्प है तो उसे कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए । जैसे हो सके तो महिलाओं को पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव मैं प्रत्याशी के रूप मैं खड़े होने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से नामांकन फार्म भरने से लेकर चुनाव लड़ने तक का आर्थिक खर्च का वहां सरकार द्वारा किया जाना चाहिए । दूसरा यह की सत्ता खिसकने एवं संसदीय सीट छीन जाने के डर से कोई न कोई अड़ंगा लगाकर महिला बिल को पास होने से रोका जाता है । अतः इसे अब नेताओं के हाथ से निकलकर सीधे जनता के बीच ले जाकर जनता द्वारा वोटिंग के माध्यम से इस पर फ़ैसला कराया जाना चाहिए । फ़िर देखें कैसे न पास होगा महिला आरक्षण का बिल । क्योंकि आधी आबादी और उससे अधिक का समर्थन मिलना तो निश्चित ही है ।
आशा है की इस तरह के गंभीर प्रयास यदि किए जायेंगे तो महिलाओं की सभी क्षेत्रों मैं उनकी आबादी की हिसाब से समान भागीदारी और हिस्सेदारी निश्चित रूप से सुनिश्चित हो पाएगी ।

गुरुवार, 27 अगस्त 2009

प्रतिभाओं को अवसर - इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सराहनीय प्रयास !

इस देश मैं प्रतिभाओं को कमी नही है बस जरूरत है तो बस एक अदद अवसर और उचित मंच की जिसके माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सके । न जाने ऐसी कितनी ही प्रतिभाएं है जो एक उचित अवसर के अभाव मैं गुमनामी के अंधेरे मैं दम तोड़ देती है । एक टीवी चॅनल के रियलिटी शो के माध्यम से सुदूर ग्रामीण अंचल बहराम पुर ( उडीसा ) के शारीरिक कमियों से ग्रस्त युवाओं के प्रिंस डांस ग्रुप ने शानदार नृत्य प्रस्तुत कर देश भर के दर्शकों का दिल जीतकर अपने अटूट जज्बे और अड़ भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया है । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा प्रतिभाओं को सामने लाने और उन्हें उचित अवसर प्रदान करने का यह बहुत ही सराहनीय प्रयास किया जा रहा है ।
पहले पहल दूरदर्शन मैं यह बात देखने को देखने को मिलती थी जिसमे शास्त्रीय नृत्य , संगीत और बाद्य यंत्रों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ करता था । निजी चनेलों के आ जाने से देश की प्रतिभाओं को उचित अवसर और मंच मिलने की सम्भावना बढ़ने लगी । इलेक्ट्रॉनिक मीडिया धीरे धीरे मनोरंजन , ख़बरों अवं ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों के दायरे से निकलकर अब देश की प्रतिभाओं हेतु प्रतिभा प्रदर्शन का उचित मंच साबित होने लगा । प्रारम्भ मैं केवल फिल्मी क्षेत्रों से जुड़े गीत , संगीत और नृत्य से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का माध्यम बना एवं लंबे समय तक बना रहा , इससे ऐसा लगने लगा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिर्फ़ फिल्मी कला क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का मंच बनकर सिमटकर रह गया है जिसमे नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा प्रदर्शन के अपेक्षा नक़ल को ज्यादा तबज्जो दी जाती रही है । यंहा तक की छोटे बच्चों तक भी फिल्मी गाने की नक़ल कर प्रेम और प्यार के नगमे गाते नजर आते रहे । ऐसा देखने को मुश्किल ही मिला हो की प्रतियोगी स्वयं द्वारा रचित गीत संगीत अथवा निर्मित नृत्य शैली का प्रदर्शन कर रहा हो ।
किंतु रियलिटी शो के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा लोगों को नैसर्गिक और स्वाभाविक प्रतिभा और हुनर के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया जा रहा है और वह भी फिल्मी क्षेत्रों के आलावा अन्य कला क्षेत्रों मैं ।
कुछ अपवादों को छोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की यह नई भूमिका अत्यन्त प्रशंसनीय और सराहनीय है जो देश की प्रतिभाओं को प्रसिद्धि पाने और कला और हुनर के प्रदर्शन हेतु उचित मंच और अवसर प्रदान करने का कार्य कर रही है । युवा पीदियों के साथ सभी उम्र के कलाकारों अथवा प्रतिभाओं को रचनात्मक और सकारात्मक कार्यों की और प्रेरित कर रही है । इससे देश के सुदूर अंचलों अवं कोने कोने मैं विद्यमान उभरती प्रतिभाओं की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आशा अवं उम्मीद कुछ ज्यादा बढ़ गई है । अतः इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कंधे पर भारी जिम्मेदारी आन पड़ी है की स्वस्थ्य मनोरंजन के साथ साथ देश की छुपी हुई प्रतिभाओं को प्रदर्सन का उचित अवसर बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रदान कर सके । आशा है मीडिया अपने जिम्मेदारी पर खरा उतरेगा और देश और समाज के लोगों की खुशहाली और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा ।

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...