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सोमवार, 14 जुलाई 2008

केन्द्र की हलचल पर एक नजर !

करार पर कई दिनों से U.P.A के घटक दलों के इनकार और इकरार का घटनाक्रम चल रहा था और अब यह अंजाम तक पहुच ही गया । U.P.A के साथ पिछले चार वर्षों से तू तू मैं मैं करते खड़े सहयोगी दल वाम मोर्चा ने समर्थन से हाथ खींच ही लिया एवं सरकार को अल्पमत मैं ला खड़ा दिया है । वाही सरकार के कुछ सहयोगी दल अभी भी सरकार के साथ खड़े हैं । इन घटनाक्रमों के चलते सरकार और सोनिया के धुर विरोधी दल सपा अब सरकार के साथ आ खड़े होने को लालायित हैं वह भी अपने पुराने सभी गिले शिकबे भूलकर । अब जन्हा सरकार से सहयोगी दलों का अलग हटना और वन्ही नए विरोधी दलों का सरकार से जुड़ने का अपना अपना नफे और नुक्सान का गणित हो सकता है , अतः अलग अलग लोगों के लिए इसका अलग अलग मत और सोचना हो सकता है .

जन्हा कांग्रेस पार्टी सरकार को बचाने की कवायद मैं जुट गई है वाही अभी तक राष्ट्रीय राजनीति के परिद्रश्य से हासिये पर पड़े क्षेत्रीय , छोटे दलों और निर्दलियों की महत्व्कांचा जाग गई है । उनके लिए यह अवसर होगा अपनी पूरी कीमत वसूलने का , मौका होगा सौदाबाजी का और मौका होगा अपने प्रतिस्पर्धी को पछाड़कर अच्छा से अच्छा ओहदा प्राप्त करने का । ऐसे समय मैं जन्हा कुछ दल सरकार मैं शामिल होकर और सरकार के प्रमुख दल के साथ मिलकर सत्ता की शक्ति का प्रयोग कर विरोधी दलों के बढ़ते हुए प्रभाव को कम करने का प्रयास करेंगे । यह सब कुछ राज्यों मैं और केन्द्र के चुनाव के मद्देनजर किए जायेंगे। इसी के मद्देनजर सरकार की जन विरोधी नीतियों और करार के नुक्सान के मुद्दे को कारण बताकर सरकार को गिराने का प्रयास करेंगे विरोधी दल ।
अब रहा देश और जनता का सवाल वह तो अभी हासिये मैं चला गया है , यंहा सिर्फ़ इस बात की चिंता है की सरकार को कैसे बचाया जाए , वाही विरोधी दल इस प्रयास मैं लगे है की किसी भी तरह सरकार को गिराया जाए । जनता यह सब देख रही है और देखने को मजबूर हैं । क्योंकि उसे तो समय का इंतज़ार है , फिर भी एक बात राजनैतिक बखूबी जानते हैं की हमारे देश की जनता बड़ी भोली है यदि उसे चुनाव के नजदीक वाले समय मैं अच्छा अच्छा दिखाया जाए और दिया जाए तो वह पुराने दिनों के दुःख दर्द और उनके साथ हुए धोखे और दगाबाजी के खेल को भूल जाती हैं । और तात्कालिक सुखों की खुमारी मैं वह एक बार पुनः वाही गलती करने को तैयार हो जाती है जो की पहले की थी । अब सब कुछ तो आने वाले समय के गर्त मैं छुपा है की ऊंट किस करवट बैठेगा । फिर भी देश मैं चल रही यह उठा पठक जरूर कुछ नया समीकरण पैदा करेगी - अच्छा या बुरा यह तो वक़्त ही बतायेगा ।

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