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सोमवार, 26 मई 2008

आरक्षण बना गले की फाँस !

राजस्थान मैं जिस प्रकार गुर्जर और मीना जाति के बीच आरक्षण को लेकर खीच तान मची है उससे तो लगता है आरक्षण का मुद्दा अब राजनैतिक दलों के लिए गले की हड्डी बनने वाला है । अब यह न तो उगलते बन रहा है और न ही निगलते बन रहा है । एक और जन्हा गुर्जर समाज अपने को अनु सूचित जन जाति मैं शामिल करने की बात कर रहा है तो वही मीना समाज अनु सूचित जन जाति मैं अन्य समाज को शामिल न कर उन्हें आरक्षण देने का विरोध कर रहा है । आज हर जाति आरक्षण की मांग कर रही है , और राजनैतिक दल वोट बैंक की खातिर किसी भी जाति और वर्ग को नाराज नही करना चाहता है । अतः वे किसी को भी मना नही कर पा रहे हैं । यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही और सभी को आरक्षण दे दिया जायेगा तो आरक्षण के कोई मायने नही रह जायेंगे ।
जिस आरक्षण को सिर्फ़ आजादी के दस वर्षों तक ही रखा जाना था , उसे वोट की राजनीती के चलते अभी तक बरक़रार रखा गया है । और अब राजनैतिक पार्टी इस मुद्दे को अपने अपने हिसाब से भुनाने चाहती है और इसका दायरा और समय बढ़ते ही जा रहा है ।
किंतु जिस उद्देश्य से इस आरक्षण को लागू किया गया था क्या उस उद्देश्य को पाने मैं सफल रहे हैं । शायद इस बात की समीक्षा करने की जद्दोजहद नही की गई है । पहले जो आरक्षण की नीति और नियम बनाए गए थे क्या वे आज की परिस्थितियों मैं भी प्रासंगिक है की नही ।
अतः अब ऐसी आरक्षण की नीति बनाने की आवश्यकता है की जिसमे किसी वर्ग विशेष की बात न करते हुए , आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की बात की जाना चाहिए । आरक्षण केवल जरूरत मंदों को ही मिले । इस बात की भी ध्यान दिया जाना चाहिए की योग्य प्रतिभायों के साथ अन्याय न हो । जो लोग चाहे वे किसी भी वर्ग विशेष के हो यदि वे आर्थिक और सामाजिक स्तर पर कमजोर और पिछडे हो उनके लिए इस प्रकार की योजनाये शुरू की जाना चाहिए की वे सक्षम और निपुण होकर जमाने के साथ कंधे से कंधे मिलाकर बराबरी से चल सके ।
अतः यदि समय रहते आरक्षण की नीति मैं बदलाव नही किया जायेगा तो हर वर्ग आरक्षण की मांग करेगा , वही एक वर्ग आरक्षण देने की मांग करेगा तो वही दूसरा वर्ग नई जातियों को आरक्षण मैं नही शामिल करने की बात करेगा । ऐसे मैं अब राजनैतिक पार्टियों और सरकार के पास दुबिधा की स्थिति निर्मित होगी की किसकी बात मानकर किसको नाराज कर दिया जाए और किसको खुश कर दिया जाए , और ऐसे मैं आरक्षण का मुद्दा गले की फाँस बन जायेगा ।

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