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बुधवार, 27 फ़रवरी 2008

.गरीब

ठंड , धुप और बारिश की किए बिना परवाह
करता रहता हर मौसम मैं काम ।
चिंता नही होती जिसको अगले दिन की
बस आज का करे इंतजाम ।
बड़े बड़े महल , भवन बनाये आलीशान
पर रहने को है धरती आसमान ।
जिसको भय न चोर लुटेरों का
जो सारी रात चैन से करे आराम ।
कैसी भी मुश्किल या परेशानी आए
लेकर ईश्वर का नाम बढ़ता सीना तान ।
नेताओ का वोट बैंक है जो
मिलता नही है राशन बस मिलता है अश्वाशन ।
अफसर , बाबू और सरकारी महकमा
भ्रष्टाचार का खेल खेलते लेकर जिसका नाम ।
एक दिन पूरे होंगे हमारे हर अरमान
इसी आशा के फेर मैं ताज देते है प्राण ।
वह है गरीब !!

#आंगन की छत है !

  #आंगन की छत है , #रस्सी की एक डोर, बांध रखी है उसे , किसी कौने की ओर। #नारियल की #नट्टी बंधी और एक पात्र #चौकोर , एक में भरा पानी , एक में...