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रविवार, 31 मार्च 2024

बहती नदी मध्य एक #पत्थर !


ढूंढते हैं #पेड़ों की छांव ,

पंछी , #नदियां और तालाब

ठंडी ठंडी हवा का बहाव ,

आसमां का जहां #धरती पर झुकाव ।


बहती नदी मध्य एक #पत्थर ,

बैठ गया थक कर उस पर ,

सुकून हुआ और बेहतर 

जब मछलियां गुजरी पैरों को छूकर ।


ऊपर नीला सा आसमां ,

चित्र उकेरे जिस पर घटा,

बाल मन सा अंदाज लगा ,

देख रहे आकृति फला फला ।


फूलों पर रंगों का पहरा,

खुशबू भी लुभा रही भंवरा,

बैठा था मैं कुछ ऐसी  जगह

जहां  मिलने आती थी शीतल  हवा ।

बहती नदी मध्य एक #पत्थर !

ढूंढते हैं #पेड़ों की छांव , पंछी , #नदियां और तालाब ठंडी ठंडी हवा का बहाव , आसमां का जहां #धरती पर झुकाव । बहती नदी मध्य एक #पत्थर , बैठ गय...